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Sakat Chauth : सकट चौथ जानें व्रत कथा कहानी, पूजा विधि और इस व्रत कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत जरूर पढ़े

आज सकट चौथ (Sakat Chauth) का व्रत है। इसे तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। यह व्रत माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश और चंद्रमा की पूजा अर्चना की जाती है। माताएं इस व्रत को संतान की प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

सकट चौथ (Sakat Chauth) को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी और माही चौथ के नाम से भी जाना जाता है। सकट चौथ के व्रत का पारण करने के बाद भी आज केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें। सकट चौथ में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है।

सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha)

एक बार गणेश जी बाल रूप में थोड़े से चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकले. पृथ्वी पर वे सबसे कहते घूम रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो लेकिन किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया. तभी एक गरीब बुढ़िया ने उनकी आवाज सुनी और उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई. बुढ़िया के मानने पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़े बर्तन में खीर बनाने को कहा. गणेश जी की बाल लीला समझते हुए बुढ़िया ने घर का सबसे बड़ा भगोना चूल्हे पर चढ़ा दिया.

Sakat Chauth Vrat Katha (1)
Sakat Chauth Vrat Katha

गणेश जी ने जब वो मुठ्ठी भर चावल और दूध भगोने में डाले तो भगोना पूरा भर गया. गणेशजी उस बुढ़िया से बोले कि अम्मा जब खीर बन जाए तो मुझे आवाज दे देना. इसके बाद बुढ़िया के बेटे की बहू ने चुपके से उस भगोने से एक कटोरी खीर चुरा ली और एक कटोरी खीर छिपाकर रख ली. खीर तैयार होने के बाद बुढ़िया ने गणेश जी को आवाज लगाई. इसके बाद गणेश जी वहां पहुंचे और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली. बुढ़िया ने पूछा कि तुम तो बाहर गए तो तुमने कब खाई तो गणेश जी बोले जब तुम्हारी बहू ने खाई. बुढ़िया को इस बात का पता चला तो उसने गणेश जी से इस पर माफी मांगी.

इसके बाद बुढ़िया ने गणेश जी से पूछा कि बाकी बची खीर का अब क्या करें, तो गणेश जी ने कि इसे नगर में बांट दो और जो बचें उसे अपने घर की जमीन में दबा दो. इतना कहकर गणेश जी वहां से चले गए. अगले दिन जब सोकर बुढ़िया उठी तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी महल में बदल गई है और खीर के बर्तन सोने, जवाहरातों से भरे हुए हैं. भगवान गणेश की कृपा से गरीब बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया.

सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth Puja Vidhi)

व्रत वाले दिन सुबह सुबह नहा लें और हाथों में मेंहदी लगाएं. सफेद तिल और गुड़ के तिलकुट बनाएं.

एक पटरे पर जल का लौटा, रोली, चावल, एक कटोरी में तिलकुट और रुपये रखें. जल के लौटे पर रोली से सतिया बनाकर 13 टिक्की करें.

चौथ और गणेश जी की कहानी सुनें. इस दौरान थोड़ा सा तिलकुट हाथ में ले लें. कहानी सुनने के बाद एक कटोरी में तिलकुट और रुपये रखकर सासू जी को देकर पैर छू लें. जल का लौटा और हाथ में रखें तिल उठाकर रख दें.

रात को चांग को देखकर इसी जल से चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें. जो व्रत कहानी सुनाएं उसे कुछ रुपये और तिलकुट दें. व्रत खोलते समय तिलकुट और शकरकंद जरूर खाएं.

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